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जमीनी सच्चाई तो यही है कि आज भी गांव में रहने वाली हजारो महिलाये जिनके बच्चे और पति शहर में नौकरी कर रहे होते है और वो अकेली गांव की मुखियागिरी कर के पुश्तैनी विरासत को सहजने में लगी है और दिवालो पर निशान लगा कर लेन देन का हिसाब रखती है. वही रखती हैं फसल से लेकर घर की हर जरुरत का हिसाब किताब. पुराने मकान की मरम्मत, बिजली का बिल, राशन की दुकान से राशन, फसल के लिए बीज, कीटनाशक, मजदुर और खाद की खरीद, बीमार सदस्य को डॉक्टर और हॉस्पिटल ले जाना, गांव में हुए खर्चे और अन्य चीज़े. गांव का बैंक गांव से १५-२० किलोमीटर दूर हैं. क्या मोदी जी और उनकी टीम इस सच्चाई से कोसो दूर है ? क्या मोदी जी की अकेली माता जी paytm या वालेट यूज़ कर सकती है? जब कि देश की एक पार्टी का मुखिया तक का भी जिसकी परवरिश ही कैशलेस परिवार में हुयी है ट्विटर तक हैंडल नहीं कर पा रहा और अभी कुछ समय पहले ही स्टेट बैंक के लाखो डेबिट कार्ड हैक हो गए थे. ऐसी व्यवस्था के बुते क्या हम कैशलेस सोसाइटी की बात कह सकते है. चलिए महानगरो से शुरू करते हैं कैशलेस सोसाइटी . आज भी दिल्ली में १ करोड़ आबादी में से कितने लोग मॉल्स या सुपर मार्किट से राशन लेते हैं ? कितने लोग पेट्रोल पंप पे कार्ड पेमेंट से काम करते हैं ? कितने लोग बच्चो की फीस ऑनलाइन या कार्ड से करते हैं ? धोबी से कपडे प्रेस कराने वाले पेमेंट paytm करते हैं ? किस दुनिया में हैं और किस दुनिया की बात कर रहे हैं ? आज भी सब्जी, ५ रुपये का धनिया और ५ रुपये का मिर्च लेना हो तो झोला थामे या मोबाइल से ट्रांसफर करे ? मोदी सर बहुत संभावनाएं हैं आपके नेतृत्व से पर प्रगति एक दम से नहीं आ जाएगी ये आपको भी पता हैं. फिर क्यों कर रहे हो जबरदस्ती का ये फरमान. चलिए हम शुरू करते हैं आपके साथ कदम ताल, पर क्या दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता चेन्नई, बैंगलोर, हैदराबाद, बड़ोदा, अहमदाबाद और सूरत भी तैयार हैं आपके साथ ? इन शहरो की की लोकल बस में कैशलेस व्यवस्था हैं क्या ? यहाँ के रेलवे स्टेशन की टिकेट विंडो पर कैशलेस व्यवस्था हैं क्या ? अंतराज्यीय बस टिकटिंग में व्यवस्था कैशलेस हैं क्या ? हाउस टैक्स व्यवस्था कैशलेस हैं क्या ? प्राइमरी स्कूल’ कॉलेज और यूनिवर्सिटीज में कैशलेस व्यवस्था हैं क्या ? सरकारी हॉस्पिटल और प्राइवेट डॉक्टर के क्लिनिक पर कैशलेस व्यवस्था हैं क्या ? अमूल वीटा या और किसी दूध के स्टाल पर कैशलेस व्यवस्था हैं क्या ? चलिए बिजली के बिल ऑनलाइन तो हैं पर जिनके पास कंप्यूटर नहीं हैं वो क्या करे जबकि भुगतान विंडो पर कार्ड स्वैपिंग मशीन ही नहीं हैं ? लाल किला जहा से आप ” प्यारे देश वासियो” बोलते हैं वह भी एंट्री कैशलेस हैं क्या ? जरुरत हैं पहले व्यवस्था और संस्था को इसके लिए तैयार करने की. रही बात बाजारों की तो सबसे पहले जिन दुकानों पर टिन नंबर हैं उन्हें कार्ड स्वपिंग मशीन और जिनके नहीं हैं उनको इसके लिए रेजिस्टर करने के लिए संपर्क अभियान और मशीन इंस्टालेशन के लिए काम करे. जबरदस्ती ज्यादा दिन तक नहीं चलती और अच्छे से अच्छा विचार भी दम तोड़ देता हैं.
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